गर्मियों में स्वाद और सेहत का खजाना-लिंगुड़ा की सब्जी।

On: Wednesday, June 11, 2025 10:24 PM
लिंगुड़ा की सब्जी

प्रकृति ने पहाड़ों को कई अनमोल उपहार दिए हैं जिसमें ठंडी और शुद्ध हवा, स्वच्छ पानी, हरे-भरे जंगल, रंग-बिरंगे फूल, औषधीय जड़ी-बूटियाँ, और अनगिनत जैव-विविधताओं से भरा जीवन है। प्रकृति ने यहाँ के जंगलों और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी कई ऐसे वनस्पतियों का भण्डार रखा है जिसे हम आदिकाल से ही उपयोग में लाते आ रहे हैं। हम आज यहाँ पर ऐसी ही एक खास वनस्पति के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं जिसका नाम है लिंगुड़ अथवा लिंगुड़ा। 

क्या है लिंगुड़ा ?

लिंगुड़ा (Linguda) एक प्रकार की जंगली फर्न (fern) प्रजाति है, जो ऊँचाई वाले नम और छायादार क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगती है। हर वर्ष गर्मियों के मौसम आते ही इस जंगली फर्न में नई कोपलें आती हैं, जो रोयेंदार पत्तों से भरा और शीर्ष में घुमावदार (कुंडली) की भांति होता है। यही रोयेंदार कोमल कुंडली मारे डंठल लिंगुड़ा कहलाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Diplazium Esculentum है और अंग्रेज़ी में इसे Fiddlehead Fern या Fiddlehead Greens कहा जाता है।

लिंगुड़ा का उपयोग पहाड़ों में रहने वाले लोग एक पौष्टिक सब्जी के रूप में करते हैं। अपने लाजवाब स्वाद के कारण यह सभी का मन पसंद है। इसके औषधीय गुण इसको एक आदर्श जंगली पौष्टिक सब्जी बनाते हैं। इसकी सब्जी मांस-मछली से भी अधिक पौष्टिक बताई जाती है। 

लिंगुड़ा की पहचान

पहाड़ों में इस फर्न की अलग-अलग प्रजाति पाई जाती है। जिसमें कुछ विषैले भी होते हैं। अच्छे और खाने लायक लिंगुड़े का रंग गहरा हरा और भूरे रोंये होते हैं। वहीं कड़वे और विषैले लिंगुड़े हम हरे और सफ़ेद रोयेंदार होते हैं। शुरुआती अवस्था में इसका डंठल कोमल और सिरा गोल घुमावदार होता है-यह वही अवस्था होती है जब इसे सब्जी के लिए तोड़ा जाता है। बाद में यह लम्बी पत्तेदार घास जैसा सख्त पौधा बन जाता है, जिसका उपयोग खाने के लिए नहीं किया जा सकता है। 

भारत में लिंगुड़ के क्षेत्रीय नाम

राज्य/क्षेत्र स्थानीय नाम
उत्तराखंड, हिमाचल लिंगुड़ा, लिंगरी, कसरोद
जम्मू-पुंछ कंदोर (कंडोर)
किश्तवाड़ टेड
कश्मीर (रामबन) डीडीडी (खाह भाषा)
कूर्ग (कर्नाटक) थर्म थोप्पू

लिंगुड़ा की सब्जी 

लिंगुड़ में लगे सभी रोंये को हटाकर साफ़ पानी से धोकर करीब 1 इंच लम्बे टुकड़ों में काट लेते हैं। उसके बाद सरसों के तेल में पीली सरसों के बीज भून लें। तत्पश्चात कटे हुए लिंगुड़े को कढ़ाई कढ़ाई में दाल लें। आगे इस लिंक में पढ़ें –   लिंगुड़ा की स्वादिष्ट सब्जी। 

लोकप्रिय व्यंजन:

  • लिंगुड़ा का सूखा भुर्ता या दम
  • दही में बनी लिंगड़ की करी
  • लिंगुड़ का खट्टा अचार
  • पारंपरिक “धाम” में लिंगड़ (हिमाचल में )

लिंगुड़ा के लाभकारी गुण

  1. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
    लिंगुड़ा में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़कर कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हैं।

  2. फाइबर का अच्छा स्रोत
    यह पाचन में सहायक होता है और पेट साफ रखने में मदद करता है। कब्ज से परेशान लोगों के लिए यह उपयोगी सब्जी है।

  3. आयरन और मिनरल्स से भरपूर
    लिंगुड़ा आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे खनिजों से भरपूर होता है, जो शरीर को ताकत देता है और हड्डियों को मजबूत करता है।

  4. वजन घटाने में सहायक
    कम कैलोरी और उच्च पोषक तत्वों के कारण यह वजन नियंत्रित करने में सहायक है।

  5. प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर
    यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा और लिवर दोनों को लाभ होता है।

इससे स्पष्ट होता है लिंगुड़ा की सब्जी और अन्य उत्पाद केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसमें मौजूद तत्व हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को मज़बूत करने में सहायक होते हैं।

घरेलू उपचार: लिंगुड़ की जड़ पीसकर चोट या सूजन पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है। जोड़ों पर इसका लेप गठिया में राहत देता है।

सावधानी

लिंगुड़ा को कभी भी कच्चा नहीं खाना चाहिए। इसमें कुछ प्राकृतिक तत्व होते हैं जो पकाने से ही नष्ट होते हैं। इसलिए इसे अच्छी तरह धोकर और पकाकर ही सेवन करना चाहिए

निष्कर्ष 

लिंगुड़ा सिर्फ एक जंगली सब्ज़ी नहीं, बल्कि पर्वतीय संस्कृति, पारंपरिक खानपान और प्राकृतिक औषधियों का समागम है। अगर आप पहाड़ों में गर्मियों के दौरान जाते हैं, तो लिंगुड़ा की सब्जी ज़रूर आज़माएं। यह प्रकृतिप्रदत्त स्वाद और सेहत दोनों का अनमोल तोहफ़ा है।

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