Gariya Bagwal : क्यों मनाते हैं गढ़िया रजवाड़े यह बग्वाल ?

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Gariya Bagwal

Bagwal Festival पहाड़ के लोगों ने अपनी वर्षों पुरानी सांस्कृतिक विरासत को आज भी सजों कर रखा हुआ है। अपनी संस्कृति और परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए यहाँ के लोग समर्पित भाव के कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में बागेश्वर जिले के पोथिंग समेत यहाँ के दर्जनभर गांवों में हर वर्ष मंगसीर की अमावश्या को गढ़िया राजपूत परिवारों द्वारा बग्वाल मनाई जाती है, जिसे स्थानीय लोग ‘गढ़िया बग्वाल’ के नाम से जानते हैं। पुरातन संस्कृति, परंपराओं, एकता और भाईचारे का यह बग्वाल यहाँ करीब 400 वर्ष पूर्व से मनाई जा रही है।

क्यों मनाते हैं गढ़िया रजवाड़े यह बग्वाल

गौरतलब है बागेश्वर के कपकोट विधानसभा स्थित विभिन्न गांवों में दीपावली के ठीक एक माह बाद यानि मंगसीर महीने में बग्वाल का आयोजन होता है। जिसे गढ़िया राजपूत परिवारों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बुजुर्ग लोग कहते हैं गढ़िया रजवाड़ों के पुरखों द्वारा अपनी खेती-बाड़ी की व्यस्तता के कारण कुमाऊं के प्रचलित द्वितीया त्यौहार (भैया दूज) को बाद में मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने कृषि कार्यों को पूर्ण कर अपने अन्न को कुठार-भंडार में रखकर फुर्सत के साथ एक माह बाद त्यौहार मनाया और इस परम्परा को आगे ले जाते रहे। इस परम्परा को आज भी गढ़िया राजपूत परिवार के लोग कायम रखे हुए हैं और हर वर्ष मार्गशीर्ष की अमावश्या के दिन अपने इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह परम्परा गढ़वाल के गांवों में भी देखी जाती है। हर साल उत्तरकाशी जिले में भी ‘मंगसीर बग्वाल’ ढोल की थापों, पारम्परिक भैलो, रांसी-तांदी लोकनृत्यों के साथ मनाया जाता है।

अन्य पर्वों की भांति ही गढ़िया बग्वाल (Gariya Bagwal Festival) पर अनेक प्रकार के स्थानीय पकवान बनाये जाते हैं। अपने ईष्ट देवों, पितरों और गौ वंश की पूजा कर घर-परिवार की कुशलता और धन-धान्य की कामना की जाती है। इस पर्व पर विवाहित बेटियों को अनिवार्य रूप से मायके बुलाने की परम्परा है। असौज-कार्तिक के काम-धंधे की व्यस्तता के बाद बेटियों के लिए यह आराम का पर्व भी है। क्योंकि इस पर्व के आने तक वे अपने सम्पूर्ण कार्य जैसे फसल समेटना, बुवाई करना, घास काटना इत्यादि पूर्ण कर चुकी होती हैं और वे बेफिक्र होकर मायके का आनंद ले सकती हैं।

गढ़िया बग्वाल पर्व गौ-वंश की पूजा की परम्परा

गढ़िया बग्वाल पर्व के दिन गौ-वंश की पूजा करने की परम्परा है। सभी अपने मवेशियों को जौ के आटे के पेड़े, हरी घास इत्यादि भरपूर खिलाते हैं। उन्हें उनका मनपसंद चारा प्रदान दिया जाता है। सबसे पहले मवेशियों के पाँव धोये जाते हैं। सींग और माथे पर तेल चुपड़कर अपने घर-भंडार को भरने में उनके सहयोग के लिए आभार प्रकट किया जाता हैं।

इन गांवों में मनाया जाता है गड़िया बग्वाल –

गढ़िया बग्वाल पर्व बागेश्वर जनपद स्थित कपकोट ब्लॉक क्षेत्र के पोथिंग, गड़ेरा, तोली, लीली, लखमारा, छुरिया, बीथी-पन्याती, नान-कन्यालीकोट, बैसानी , कपकोट, पनौरा, फरसाली, हरसीला, सीमा, रीमा आदि गांवों में मनाया जाता है। इसके अलावा हमारे मित्र गांवों में भी इस बग्वाल को मनाया जाता है।

आपसी एकता और भाईचारे की मिशाल पेश करता है गढ़िया बग्वाल पर्व

आपसी सौहार्द और भाई-चारे की मिशाल को पेश करता यह पर्व गढ़िया रजवाड़ों के मूल गांव पोथिंग में देखने को मिलता है। गांव में निवासरत सभी गढ़िया परिवार के अलावा दानू, कन्याल, बिष्ट, मेहता, फर्स्वाण, कुंवर परिवार भी इस पर्व को मनाकर आपसी प्रेम और एकता का उदाहरण पेश करते हैं।

अब सामूहिक तौर पर भी मनाया जाने लगा है गढ़िया बग्वाल –

घर में त्यौहार मनाकर सामूहिक रूप से गांव के मध्य बने तिबारी में मनोरंजन हेतु चांचरी गायन की परम्परा को पुनर्जीवित करते हुए गांव के उत्साही युवाओं के समूह ने इस पर्व पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन प्रारम्भ किया है। विभिन्न गांवों में रहने वाले गढ़िया परिवार इस महोत्सव में अपनी सहभागिता करते हैं। गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को ढोल नगाड़ों की थाप पर कार्यक्रम स्थल तक लाया जाता है और उनके हाथों इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जाता है। विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। विभिन्न विद्यालय के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रहे युवा वर्ग का उत्साहवर्द्धन हेतु उन्हें सम्मानित किया जाता है। साथ ही गांव के लोग अपने उत्पादों की प्रदर्शनी इस बग्वाल मेले में लगाते हैं। अलग-अलग गांवों से आये लोगों से मिलन होता है। शाम को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ गढ़िया बग्वाल महोत्सव का समापन होता है।

Gariya Bagwal 2023 Date

गढ़िया बग्वाल 2023 : इस वर्ष गढ़िया बग्वाल मार्गशीर्ष 26 गते यानि मंगलवार दिनांक 12 दिसंबर 2023 को बागेश्वर जनपद स्थित कपकोट तहसील के विभिन्न गांवों में मनाई जायेगी। इस दौरान लोग अपने ईष्ट देवों, पितरों और अपने गौ-वंश की पूजा कर सामूहिक भोज करेंगे। इसी के साथ गढ़िया रजवाड़ों के मूल गांव पोथिंग में गढ़िया बग्वाल महोत्सव का आयोजन होगा।

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