11 जुलाई से शुरू हो रहे श्रद्धा और आस्था के महापर्व कांवड़ यात्रा 2025 को लेकर उत्तराखण्ड सरकार ने कमर कस ली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इस बार यात्रा के दौरान शुद्ध और सुरक्षित भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग विशेष सतर्कता बरतेगा।
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। ऐसे में भोजन की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यात्रा मार्गों पर स्थित सभी होटल, ढाबा, ठेली, फड़ व अन्य खाद्य कारोबारियों को कड़े निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
खाद्य कारोबारियों को निर्देश:
- हर खाद्य कारोबारी को अपने लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाणपत्र की स्पष्ट प्रति अपने प्रतिष्ठान में प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करनी होगी।
- ठेले-फड़ वाले छोटे व्यापारी भी फोटो पहचान पत्र और पंजीकरण प्रमाण पत्र साथ रखेंगे और प्रदर्शित करेंगे।
- उल्लंघन करने वालों पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 55 के तहत ₹2 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
डॉ. कुमार ने साफ किया कि पंडालों, भंडारों और अन्य स्थानों पर परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर गहन निगरानी रखी जाएगी। मिलावट या मानकों की अनदेखी करने वालों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बिना लाइसेंस कारोबार पर सख्ती:
अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन श्री ताजबर सिंह जग्गी ने स्पष्ट किया कि इस बार बिना लाइसेंस खाद्य व्यवसाय करने वालों को किसी तरह की राहत नहीं दी जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर आर्थिक दंड के साथ-साथ आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी।
जन जागरूकता अभियान और शिकायत सुविधा:
सरकार द्वारा IEC (सूचना, शिक्षा एवं संचार) माध्यमों से आम जनता और खाद्य कारोबारियों को शुद्ध भोजन की पहचान, उपभोक्ता अधिकारों और खाद्य सुरक्षा नियमों की जानकारी दी जाएगी।
अगर किसी को भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत करनी हो तो वह सरकारी टोल फ्री नंबर 18001804246 पर संपर्क कर सकता है। शिकायत मिलते ही प्रशासनिक टीमें मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेंगी।
कांवड़ यात्रा 2025 में इस बार सिर्फ धार्मिक वातावरण ही नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की सेहत और सुरक्षा भी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। सरकार की इस पहल से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि श्रद्धा के इस पवित्र पर्व में स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता न हो।