Akhand Jyot Diya : नवरात्रि यानि नौ दिनों तक चलने वाली देवी दुर्गा के नौ रूपों (पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री) की आराधना के साथ ही इस पावन पर्व पर कई घरों में घटस्थापना होती है, तो कई जगह ‘अखंड ज्योति’ का विधान है। शक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर माँ दुर्गा की साधना करते हैं। अखंड ज्योति अर्थात ऐसी ज्योति जो खंडित न हो। अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए यानी जलती रहनी चाहिए। अंखड दीप को विधिवत मंत्रोच्चार से प्रज्जवलित करना चाहिए। नवरात्री में कई नियमों का पालन किया जाता है।
अखंड ज्योति का महत्व
नवरात्रि में अखंड ज्योत (Akhand Jyot Diya) का बहुत महत्व होता है। इसका बुझना अशुभ माना जाता है। जहा भी ये अखंड ज्योत जलाई जाती है वहा पर किसी न किसी की उपस्थिति जरुरी होती इसे सूना छोड़ कर नहीं जाते है। अखंड ज्योत में दीपक की लौ बांये से दांये की तरफ जलनी चाहिए। इस प्रकार का जलता हुआ दीपक आर्थिक प्राप्ति का सूचक होता है। दीपक का ताप दीपक से 4 अंगुल चारों ओर अनुभव होना चाहिए, इससे दीपक भाग्योदय का सूचक होता है। जिस दीपक की लौ सोने के समान रंग वाली हो वह दीपक आपके जीवन में धन-धान्य की वर्षा कराता है एवं व्यवसाय में तरक्की का सन्देश देता है।
निरंन्तर 1 वर्ष तक अखंड ज्योति जलने से हर प्रकार की खुशियों की बौछार होती है। ऐसा दीपक वास्तु दोष, क्लेश, तनाव, गरीबी आदि सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। अगर आपकी अखंड ज्योति बिना किसी कारण के स्वयं बुझ जाए तो इसे अशुभ माना जाता। दीपक में बार-बार बत्ती नहीं बदलनी चाहिए। दीपक से दीपक जलाना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से रोग में वृद्धि होती है, मांगलिक कार्यो में बाधायें आती हैं। संकल्प लेकर किए अनुष्ठान या साधना में अखंड ज्योति जलाने का प्रावधान है। अखंड ज्योति में घी डालने या फिर उसमें कुछ भी बदलाव का काम साधक को ही करना चाहिए, अन्य किसी व्यक्ति से नहीं करवाना चाहिए।
अखंड ज्योति स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा..
Akhand Jyot Diya दरअसल ऐसा माना जाता है कि मां के सामने अखंड ज्योति जलाने से उस घर में हमेशा से मां की कृपा रहती हैं। नवरात्र में अंखड दीप जलाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि घी और कपूर की महक से इंसान की श्वास और नर्वस सिस्टम बढ़िया रहता है। नवरात्र में अखंड दीप जलाने से मां कभी अपने भक्तों से नाराज नहीं होती हैं। नवरात्र में अखंड ज्योति से पूजा स्थल पर कभी भी अनाप-शनाप चीजों का साया नहीं पड़ता है। नवरात्र में घी या तेल का अखंड दीप जलाने से दिमाग में कभी भी नकारात्मक सोच हावी नहीं होती है और चित्त खुश और शांत रहता है। घर में सुगंधित दीपक की महक चित्त शांत रखता है जिसके चलते घर में झगड़े नहीं होते, वातावरण शांत रहता है।
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अखंड ज्योति जलाने का मंत्र :
- ‘शुभं करोति कल्याणम्, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोऽस्तुते’
- दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति जनार्दन, दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोऽस्तुते।
- ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
अखंड ज्योति जलाने के नियम:
- अखंड ज्योति जलाते समय ध्यान रखें कि घी से जलाई अखंड ज्योति को दाईं ओर और तेल से जलाई अखंड ज्योति को बाईं ओर रखें.
- अखंड ज्योति जलाने के लिए टूटे हुए या पहले इस्तेमाल हो चुके दीपक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
- ज्योति जलाने के बाद घर को अकेला न छोड़ें और न ही ताला लगाएं.
- अखंड ज्योति को सीधे ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए. इसे अन्न जैसे जौ, चावल या गेहूं की ढेरी पर रखना चाहिए.
- नौ दिन पूरे होने के बाद अखंड ज्योति को अपने आप बुझने देना चाहिए.
- अगर अखंड ज्योति बुझ जाए, तो इसी दीये से अखंड ज्योत दोबारा प्रज्वलित कर सकते हैं.
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दीपक जलाने से जुड़े कुछ और टिप्स:
- पूजा में घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए.
- तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए.
- दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए.
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर होना शुभ होता है.
- उत्तर दिशा में भी दीपक की लौ होना शुभ माना जाता है.
आप सभी को चैत्र नवरात्रि की शुभकामनायें। माँ की दया-दृष्टि आप पर बनी रहे।