भारत का उत्तराखंड राज्य जो “देवभूमि” के नाम से ख्याति प्राप्त है, न केवल अपने आध्यात्मिक स्थलों और अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत, समृद्ध इतिहास और अनूठी परंपराएं भी इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं। यह राज्य न केवल प्रकृति प्रेमियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है, बल्कि सामान्य ज्ञान और सामान्य अध्ययन की दृष्टि से भी रोचक तथ्यों से भरपूर है।
इन्हीं तथ्यों में से एक है – उत्तराखंड का सबसे बड़ा नाम वाला जिला। क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में किस जिले का नाम सबसे लंबा है? यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से आप जान पाएंगे इस विशेष जिले का नाम और उसके संक्षिप्त इतिहास के बारे में –
उत्तराखंड का संक्षिप्त परिचय
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था। उससे पहले यह राज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। पृथक राज्य बनने के बाद इसको उत्तरांचल नाम दिया गया। यह नाम संस्कृत भाषा के ‘उत्तर’ और ‘अंचल’ शब्द से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है- उत्तर का अंचल यानी उत्तरी क्षेत्र। वर्ष 2007 में स्थानीय जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। इस नाम का भी अर्थ ‘उत्तरी क्षेत्र’ या ‘उत्तरी भूमि’ ही है।
राज्य की शीतकालीन राजधानी देहरादून और ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण है। गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी 08 जून 2020 को घोषित किया गया था। इस समय राज्य में कुल 13 जिले हैं, और प्रत्येक जिले की अपनी एक विशेष सांस्कृतिक पहचान है।
उत्तराखंड का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
- सबसे बड़ा जिला : क्षेत्रफल की दृष्टि से चमोली (8030 वर्ग किमी) उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला है।
- सबसे छोटा जिला : क्षेत्रफल की दृष्टि से चंपावत (1766 वर्ग किमी) सबसे छोटा जिला है।
यह जानना रोचक है कि जहां चमोली सबसे बड़ा भूभाग वाला जिला है, वहीं आज हम जिस जिले की बात कर रहे हैं, वह नाम के लिहाज से सबसे लंबा है।
उत्तराखंड का सबसे बड़ा नाम वाला जिला
उत्तराखंड में सबसे बड़ा नाम वाला जिला है – उधमसिंह नगर।
- हिंदी में: उधमसिंह नगर – कुल 13 अक्षर
- अंग्रेजी में: Udham Singh Nagar – कुल 15 अक्षर
यह नाम लम्बाई में उत्तराखंड के सभी जिलों में सबसे अधिक है।
| जिला | अक्षर (हिंदी में) | अक्षर (अंग्रेजी में) |
|---|---|---|
| उधमसिंह नगर | 13 | 15 |
| उत्तरकाशी | 9 | 11 |
| पिथौरागढ़ | 10 | 11 |
| चंपावत | 7 | 8 |
| हरिद्वार | 8 | 8 |
उधमसिंह नगर का इतिहास
उधमसिंह नगर एक ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है। इसका मुख्यालय रुद्रपुर है। वर्तमान में यह जिला 7 उप-जिलों, 19 कस्बों और 688 गांवों में विभाजित है। 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की कुल जनसंख्या 1,648,902 है।
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उधमसिंह नगर पहले नैनीताल जिले का हिस्सा हुआ करता था।
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आधिकारिक रूप से वर्ष 1995 में इसे स्वतंत्र जिला घोषित किया गया।
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इस जिले का नाम स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद उधम सिंह के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए 1940 में लंदन में जाकर माइकल ओ’ ड्वायर की हत्या की थी।
इस जिले में कुमाऊं और तराई की मिश्रित संस्कृति देखने को मिलती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, नेपाल और बंगाल से आए लोगों की मिश्रित संस्कृति इसे उत्तराखंड का एक विविधतापूर्ण जिला बनाती है।
वर्तमान में उधमसिंह नगर
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उधमसिंह नगर कृषि, औद्योगिक विकास और सीमावर्ती प्रशासन की दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है।
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जिले के प्रमुख शहर हैं – रुद्रपुर, काशीपुर, बाजपुर, और सितारगंज।
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यहां SIDCUL औद्योगिक क्षेत्र स्थापित है, जो राज्य के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की पहचान न केवल उसकी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक स्थलों से है, बल्कि यहां के जिलों के नाम भी कई बार सामान्य ज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
उधमसिंह नगर न केवल उत्तराखंड का सबसे बड़ा नाम वाला जिला है, बल्कि यह राज्य के औद्योगिक, सामाजिक और ऐतिहासिक मानचित्र पर भी बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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