वंशी नारायण मंदिर, सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलने वाला रहस्यमयी मंदिर।

On: Friday, August 8, 2025 6:15 PM
वंशी नारायण मंदिर

देवों की भूमि यानी उत्तराखंड, जहाँ हमें पग-पग पर विभिन्न मंदिरों के दर्शन होते हैं। ये सभी मंदिर यहाँ के लोगों की आस्था और विश्वास के प्रमुख केंद्र हैं। जहाँ समय-समय पर परम्परानुसार विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं लेकिन यहाँ की भूमि में एक ऐसा मंदिर भी है जो वर्ष में सिर्फ एक दिन, वह भी कुछ घण्टे के लिए ही खुलता है बांकी वर्ष के 364 दिन बंद रहता है। यह मंदिर है चमोली जनपद स्थित खूबसूरत उर्गम घाटी का वंशी नारायण मंदिर। 

भगवान विष्णु को समर्पित वंशी नारायण मंदिर के कपाट श्रावण पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन के दिन मात्र एक दिन के लिए खुलते हैं। इस अवसर पर बहन-बेटियां भगवान वंशीनारायण जी को राखी बांधने के लिए मीलों पैदल खड़ी चढ़ाई कर मंदिर तक पहुँचती हैं। स्थानीय लोगों द्वारा यहाँ भगवान् हरि विष्णु को मक्खन चढ़ाया जाता है और मक्खन से ही निर्मित भोग लगाया जाता है। 

मंदिर कहां स्थित है?

वंशी नारायण मंदिर, उर्गम घाटी के बीच बसे खूबसूरत कलगोथ गांव से करीब 12 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको हरे-भरे पहाड़ों और शांत वादियों के बीच पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

कत्यूर शैली में बना यह मंदिर उत्तराखंड की स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की 10 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित है, जहां भगवान विष्णु के साथ-साथ महादेव के भी दर्शन होते हैं। यह मंदिर पांडवों के काल में बना बताया जाता है। 

सम्पूर्ण शिलाखंडों में निर्मित यह मंदिर अपनी प्राचीनता एवं मौलिकता के साथ इस दुर्गम स्थल पर यथावत है हालांकि मंदिर के शीर्ष पर स्थित चकरी अपना स्थान छोड़कर मंदिर के मुख्य द्वार के ओर अपना स्थान ले चुकी है। मंदिर में लगे पाषाणों की प्राचीनता एवं इन पाषाणों के जोड़ में लगी लोहे बारीक पत्तियां इस मंदिर की बनावट को और आश्चर्य चकित करती हैं। 

पौराणिक कथा जो इसे खास बनाती है

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने बामन अवतार धारण कर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा। बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया। इस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गए। जिस कारण देवलोक माता लक्ष्मी पति के दर्शन लम्बे समय तक न हो सकते। वे परेशान होकर नारद मुनि के पास पहुंचीं। नारद जी ने उन्हें एक उपाय सुझाया कि वह-

“सावन की पूर्णिमा के दिन राजा बलि के हाथ में रक्षा सूत्र बांधें और उपहार स्वरूप अपने पति की मुक्ति मांग लें।” माता लक्ष्मी ने ऐसा ही किया और भगवान विष्णु को द्वारपाल के कर्म से मुक्त कराया।  

किवदंतियों के अनुसार पाताल लोक से भगवान यहीं प्रकट हुए थे। माना जाता है कि भगवान के राखी बांधने से स्वयं श्रीहरि उनकी रक्षा करते हैं। रक्षाबंधन के दिन दर्जनों गांवों के लोग यहां एकत्र होकर इस अद्भुत क्षण के गवाह बनते है।

कैसे पहुंचें ?

श्री वंशी नारायण मंदिर तक पहुँचने की यात्रा जितनी कठिन है, उतनी ही अलौकिक और दिव्य भी। करीब 12,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर बांसा गांव से लगभग 10 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद प्राप्त होता है।

रास्ता जो प्रकृति की गोद से होकर गुजरता है

बांसा गांव से मंदिर तक पहुँचने के लिए यात्रियों को एक निश्चित और पारंपरिक रास्ते से होकर गुजरना होता है:

  1. बांसा से तप्पड़ / मुल्ला – 2 किलोमीटर
  2. तप्पड़ से कुड्मुला – 1 किलोमीटर
  3. कुड्मुला से बड़जिखाल – 2 किलोमीटर
  4. बड़जिखाल से नक्चुना – 2 किलोमीटर
  5. नक्चुना से वंशी नारायण मंदिर – 3 किलोमीटर

यह मार्ग घना जंगल वाला है, जहाँ रास्ते भर आपको भोजपत्र के वृक्ष, औषधीय जड़ी-बूटियाँ, और सिमरु की झाड़ी जैसे दुर्लभ वनस्पति देखने को मिलते हैं। खास बात यह है कि सिमरु के पेड़ों में सफेद व हल्के बैंगनी रंग के फूल खिलते हैं, जो दूर से देखने में बुरांश के फूलों जैसे प्रतीत होते हैं और रास्ते में केवल प्राकृतिक सन्नाटा, पक्षियों का कलरव और हवाओं की सरसराहट ही आपके साथी होते हैं।

प्रकृति का सुमधुर संगीत

इस एकांत, शांतिपूर्ण वातावरण में कहीं-कहीं विशिष्ट प्रजातियों के पक्षियों की मधुर आवाज़ें इस यात्रा को एक आध्यात्मिक संगीत का रूप दे देती हैं। हर मोड़, हर चढ़ाई एक नई ऊर्जा देती है  मानो प्रकृति स्वयं भक्तों को बुला रही हो।

बांसा से वंशी नारायण तक की यह चढ़ाई सिर्फ एक पैदल मार्ग नहीं है, बल्कि आस्था, धैर्य और आत्मिक जुड़ाव की परीक्षा है। यहां न मोबाइल सिग्नल है, न चाय की दुकानें – बस है तो प्रकृति, पर्वत और प्रभु की उपस्थिति का एहसास।

यह यात्रा उन यात्रियों के लिए है, जो परिश्रम में परमात्मा को देख सकते हैं और प्रकृति में परम सत्य को महसूस करते हैं।

रक्षाबंधन के दिन वंशी नारायण मंदिर सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं रहता, बल्कि एक उत्सव स्थल बन जाता है। यहाँ दूर-दराज़ से आए लोग, लोकगीत, पूजा-अर्चना और आस्था की ऊर्जा सब कुछ यहां मिलकर एक अद्भुत वातावरण बना देते हैं।

वंशी नारायण मंदिर के निकट दर्शनीय स्थल

वंशी नारायण मंदिर तक पहुँचने की यात्रा जितनी रोमांचक है, उतनी ही समृद्ध है इसके आसपास के प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों से। यहां की हर दिशा, हर मोड़ किसी रहस्य और सौंदर्य से भरा हुआ है। मंदिर के निकट कई स्थल ऐसे हैं जो प्रकृति प्रेमियों, ट्रेकर्स और आध्यात्मिक यात्रियों के लिए बेहद आकर्षक हैं।

1. छोटा नंदी कुंड और स्वनल कुंड

वंशी नारायण मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं छोटा नंदी कुंड और स्वनल कुंड। ये स्थान ऊँचाई पर स्थित लाजी खर्क और कैल्खुर खर्क नामक चरागाहों के पास आते हैं, जहाँ खुले मैदान, ठंडी हवाएं और दूर-दूर तक फैली हरियाली यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

2. स्वनुल कुंड सरोवर

लाजी खर्क से लगभग 2 किलोमीटर नीचे उतरते ही एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल आता है स्वनुल कुंड सरोवर। यह सरोवर घाटी के मध्य स्थित है और इसका आकार लगभग 100 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा है। इसके चारों ओर फैले प्राकृतिक पुष्प उद्यान इसे एक स्वप्निल दृश्य बनाते हैं।

3. छोटा मंदिर कुंड सरोवर 

स्वनुल कुंड के बाईं ओर स्थित है एक और आकर्षक स्थल छोटा मंदिर कुंड सरोवर, जो लगभग 150 मीटर लंबा और 80 मीटर चौड़ा है। यह स्थान अपनी शांत जलधारा और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां विश्राम करने से मानसिक शांति और शारीरिक ताजगी दोनों का अनुभव होता है।

प्रकृति और श्रद्धा का अनूठा संगम

वंशी नारायण क्षेत्र केवल धार्मिक महत्व का स्थल नहीं है, बल्कि यह उन यात्रियों के लिए भी स्वर्ग है जो प्राकृतिक सौंदर्य, पर्वतीय जीव-जंतु, जड़ी-बूटियाँ और शांत वातावरण की तलाश में हैं। यहाँ की घाटियाँ, कुंड, चरागाह और पुष्प-वाटिकाएँ मिलकर एक ऐसी दुनिया रचती हैं जो मन को पूरी तरह शांति और तृप्ति से भर देती हैं।

टिप्स यात्रियों के लिए:

  • इन स्थलों तक पहुँचने के लिए स्थानीय गाइड लेना बेहतर रहेगा।
  • मौसम के अनुसार गरम कपड़े और पर्याप्त पानी साथ रखें।
  • फूलों और प्राकृतिक स्थलों को नुकसान न पहुँचाएं, यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील है।

यहाँ भी पढ़ें : 

शिखर मूलनारायण मंदिर : आस्था, प्रकृति और साहसिकता का संगम।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now