उत्तराखंड, जो अपने आध्यात्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक वैभव के लिए ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, अब तकनीकी नवाचारों के क्षेत्र में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है। राज्य की यह प्रगति न केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित है, बल्कि गांव, खेती और भूमि जैसे बुनियादी क्षेत्रों तक भी पहुंच रही है। इसी दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है -भूलेख उत्तराखंड पोर्टल। (Bhulekh Uttarakhand)
भूमि केवल एक संपत्ति नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। किसानों की जीविका, घर का निर्माण, सरकारी योजनाओं का लाभ या पारिवारिक विरासत-भूमि हर दृष्टि से महत्व रखती है। किंतु वर्षों तक ज़मीन से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना बेहद कठिन, जटिल और अपारदर्शी प्रक्रिया हुआ करती थी। कागज़ी रिकॉर्ड, पटवारी की फाइलें और तहसील कार्यालयों की लंबी कतारें – ये सब आम आदमी की कठिनाइयों का हिस्सा थे। लेकिन अब स्थिति बदल रही है।
भूलेख क्या है?
‘भूलेख’ शब्द का तात्पर्य है -भूमि से संबंधित सभी दस्तावेजों और विवरणों का लेखा-जोखा। उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू किया गया भूलेख पोर्टल (https://bhulekh.uk.gov.in) राज्य के नागरिकों को यह सुविधा देता है कि वे अपने गांव, खेत या संपत्ति की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी प्राप्त कर सकें।
यह पोर्टल राजस्व विभाग, उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित है, और इसका उद्देश्य पारदर्शिता, सुगमता और डिजिटल सुविधा प्रदान करना है।
भूलेख पोर्टल की प्रमुख सेवाएं
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ऑनलाइन खतौनी और खसरा विवरण:
किसी भी ज़मीन के स्वामित्व, रकबे, फसली विवरण आदि को आसानी से देखा जा सकता है। -
गांव, तहसील, खाता या खसरा नंबर के आधार पर खोज:
पोर्टल पर गांव, तहसील, ज़िला आदि का चयन कर के किसी विशेष खेत या भूमि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। -
PDF डाउनलोड की सुविधा:
भूमि से जुड़ी जानकारी को डाउनलोड कर भविष्य के लिए सहेजा जा सकता है, जिससे दस्तावेज़ी प्रक्रिया सरल बनती है। -
भ्रष्टाचार और विवादों में कमी:
जब रिकॉर्ड सार्वजनिक होते हैं, तो धोखाधड़ी, अतिक्रमण और ज़मीन के झगड़ों की संभावना भी घटती है।
एक डिजिटल बदलाव की मिसाल
भूलेख उत्तराखंड केवल एक वेबसाइट नहीं, बल्कि डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल ज़मीन मालिकों को फायदा हुआ है, बल्कि ज़मीनी विवादों, धोखाधड़ी, और सरकारी प्रक्रिया की जटिलता में भी कमी आई है।
यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से क्रांतिकारी है, जहां अधिकतर लोग खेती या ज़मीन पर निर्भर हैं, और उनके पास सीमित संसाधन होते हैं। अब उन्हें तहसील कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं – वे अपने मोबाइल या साइबर कैफे से ही आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आने वाले कल की झलक
भविष्य में इस पोर्टल में कई और सुविधाएं जुड़ने की संभावना है, जैसे:
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जियो-मैपिंग और GIS आधारित नक्शे
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ऑनलाइन नामांतरण (mutation) प्रक्रिया
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भू-सीमा विवाद समाधान प्रणाली
ये सभी सुविधाएं उत्तराखंड को एक “डिजिटल भूमि प्रबंधन राज्य” के रूप में स्थापित करेंगी।
Bhulekh Uttarakhand का उपयोग कैसे करें?
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सबसे पहले https://bhulekh.uk.gov.in वेबसाइट पर जाएं।
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“Public ROR” विकल्प पर क्लिक करें।
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जिला, तहसील और गांव का चयन करें।
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खाता संख्या, खसरा संख्या या नाम डालें।
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“खोजें” बटन पर क्लिक करें।
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आपकी जमीन का पूरा विवरण स्क्रीन पर दिख जाएगा।
निष्कर्ष: तकनीक से अधिकार तक
भूलेख उत्तराखंड केवल तकनीकी नवाचार नहीं है, यह नागरिकों के अधिकार, जागरूकता और सुविधा से भी जुड़ा हुआ है। यह पहल सरकार और जनता के बीच भरोसे का पुल बनाती है। पारदर्शिता, समय की बचत और कानूनी सुरक्षा जैसे कई पहलुओं को साथ लेकर यह पोर्टल उत्तराखंड की डिजिटल यात्रा में मील का पत्थर बन गया है।
आज जब भारत डिजिटल युग की ओर तेज़ी से अग्रसर है, ऐसे में उत्तराखंड जैसे राज्य की यह पहल एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है -कि अगर तकनीक को सही दिशा दी जाए, तो वह समाज का चेहरा बदल सकती है।