नारायण आश्रम, उत्तराखण्ड | इतिहास और गतिविधियां। Narayan Ashram

On: Tuesday, October 10, 2023 10:00 PM
Narayan Ashram Uttarakhand
Narayan Ashram Uttarakhand

Narayan Ashram : उत्तराखंड स्थित पिथौरागढ़ जनपद के चौदास घाटी में सोसा गाँव के पास ‘नारायण आश्रम’ की पहचान एक बेहद शांत और मनोरम स्थल के रूप में है। यह आश्रम ध्यान, योग, प्रकृति प्रेमियों और अध्यात्मिक अभिरुचि वाले व्यक्तियों के लिए एक बेहद ही उपयुक्त केंद्र है, यहाँ आकर आप अपने को पूरी तरह रिचार्ज कर सकते हैं। हरेभरे जंगलों के बीच स्थित इस आश्रम का वातावरण बेहद शांत और चित्त को तरोताज़ा करने वाला है। इस स्थान की सुन्दरता इतनी अधिक है कि देश के कोने-कोने के प्रकृति प्रेमी इस आश्रम में रहकर योग और आध्यात्म के साथ-साथ हिमालय के अद्भुत दर्शन करते हैं।

नारायण आश्रम (Narayan Ashram) की स्थापना वर्ष 1936 में विख्यात साधु एवं सामाजिक उद्धारक नारायण स्वामी जी द्वारा की गई थी। कैलाश मानसरोवर मार्ग के निकट यह आश्रम पिथौरागढ़ जनपद मुख्यालय से 136 किलोमीटर और तवाघाट से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सिंघु सतह से आश्रम 2734 मीटर की ऊंचाई पर बेहद ही सुन्दर और प्राकृतिक परिवेश के बीच स्थापित है। नारायण आश्रम में स्थानीय बच्चों के लिए एक विद्यालय है। यहां एक पुस्तकालय, ध्यान कक्ष और समाधि स्थान भी है। इसके अलावा यहाँ स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

नारायण आश्रम परिसर विभिन्न प्रजाति के फूल और जड़ी बूटियों के पौधों से सुसज्जित उद्यान, सेब, आड़ू आदि फलों के पेड़ तथा देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। फूलों पर मंडराती हजारों की संख्या में तितलियाँ, मधुमक्खियाँ मन को मोह लेती है । ऊंचाई पर स्थित होने के कारण आसपास नीचे घाटी में फैली हरियाली, सीढीदार खेत और गांव भी इस जगह को विशेष बनाते हैं। 

नारायण आश्रम का इतिहास

नारायण आश्रम को स्थापित करने वाले नारायण स्वामी दक्षिण भारत के रहने वाले थे। एक संपन्न परिवार में जन्मे स्वामी ने अपनी स्नातक की पढाई के बाद घर छोड़ने का फैसला किया और निकल पड़े हिमालय की ओर। वे हरिद्वार पहुंचे और ऋषियों की जीवन शैली जानने के लिए उन्होंने विभिन्न आश्रमों में काम किया। राम कृष्ण मिशन और विवेकानंद मिशन से प्रभावित स्वामी वर्ष 1935 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौट रहे थे। उनकी मुलाक़ात सोसा गांव के स्थानीय युवाओं से हुई। दुर्गम इलाकों में सुविधाओं से वंचित पहाड़ी लोगों के आतिथ्य, सत्कार ने उन्हें प्रभावित किया और स्वामी ने इसी क्षेत्र में रहकर जन कल्याण की सोची। वे कुछ समय बाद पूरे देश भ्रमण के बाद पुनः इस क्षेत्र में आये और देश के विभिन्न प्रांतों से उन्होंने चंदा एकत्रित किया। देवभूमि में वे भगवान नारायण की मूर्ति भी लाये। सोसा गांव के निवासी कुशल सिंह ह्यांकी ने नारायण स्वामी को आश्रम के निर्माण के लिए अपनी जमीन दान में दी और 26 मार्च 1936 को एक पर्णकुटी के रूप में यहाँ एक आश्रम का निर्माण हुआ।

नारायण आश्रम में की जाने वाली गतिविधियां

उत्तराखंड के खूबसूरत चौदास घाटी में स्थित नारायण आश्रम में योग, ध्यान एवं अन्य आध्यात्मिक गतिविधियां की जाती हैं। इसके अलावा ट्रैकिंग भी करवाई जाती है। आश्रम द्वारा एक विद्यालय भी संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था है।

नारायण आश्रम की सारी व्यवस्था गुजरात में स्थापित ट्रस्ट के माध्यम से चलती है ग्रीष्म काल से लेकर शरद काल तक यहां पर गुजरात के भक्तों का ताता लगा रहता है l पूरे आश्रम गुजराती व्यंजनों से महकता है l योग शिविर से लेकर कई धार्मिक अनुष्ठान होते हैंl अलबत्ता नवंबर के बाद शीतकाल में अप्रैल तक आश्रम लोगों के लिए बंद रहता हैl इधर अब शीतकाल में भी यहां भारी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक पहुंचने लगे हैं।

आसपास दर्शनीय स्थल

नारायण आश्रम के कुछ ही दूर तवाघाट में धौलीगंगा और काली गंगा का संगम स्थल पर जा सकते हैं। इसके अलावा पिथौरागढ़ फोर्ट, कपिलेश्वर महादेव मंदिर, रामताल गार्डन, अस्कोट सेंच्युरी, हाट कालिका मंदिर, ध्वज मंदिर, अर्जुनेश्वर मंदिर व पालात भुवनेश्वर की भी सैर कर सकते हैं।

कैसे पहुंचें –

रेल से आप काठगोदाम तक आ सकते हैं। उसके बाद आप बस या टैक्सी से भीमताल -अल्मोड़ा-बाड़ेछीनी-धौलछीनी-सेलाधार-बेरीनाग-बैंड-थल-डीडीहाट-नारायण आश्रम तक पहुँच सकते हैं। नारायण आश्रम के लिए नजदीकी एयरपोर्ट नैनी सैनी हवाई अड्डा पिथौरागढ़ है। हवाई अड्डे से आश्रम की दूरी करीब 100 किलोमीटर है।

 

Advaita Ashrama, Mayavati | अद्वैत आश्रम, मायावती लोहाघाट, उत्तराखंड

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a comment