हरेला पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति, कृषि और पारंपरिक जीवनशैली के गहरे संबंध को दर्शाता है। ‘हरेला’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है – हरियाली, और यह पर्व हरियाली, नई फसल, और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। विशेष रूप से कुमाऊँ अंचल में यह पर्व सावन महीने की संक्रांति यानि पहली तिथि को मनाया जाता है और लोगों को प्रकृति से जुड़ने, वृक्षारोपण करने और पर्यावरण की रक्षा का संदेश देता है। हरेला न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह उत्तराखंड की उस परंपरा की याद दिलाता है, जिसमें प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन को सर्वोपरि माना गया है।
इस पोस्ट में हम आपके लिए एक हरेला गीत के लिरिक्स संकलित कर रहे हैं, जिसके रचयिता डॉ. चंद्रा जोशी जी है। प्रस्तुत गीत में देवभूमि उत्तराखंड की जय-जयकार करते हुए हरेला पर्व की महत्ता बताई गई है। इस गीत को हरेला त्योहार के अवसर पर स्कूली बच्चों द्वारा और विभिन्न कार्यक्रमों में गाया जा सकता है।
Harela Song in Kumaoni
उत्तराखंड देवभूमि तेरी जै-जैकार, जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
उत्तराखंड देवभूमि तेरी जै-जैकार, जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
उत्तराखंड ऽऽ. ……..
सौंण का महीना यैती हर्याव कैं मनूनी,
सौंण का महीना यैती हर्याव कैं मनूनी,
दुनिया कैं हरियाली क शुभ सन्देश दींनी।
दुनिया कैं हरियाली क शुभ सन्देश दींनी।
हरियां-भरियाँ है जौ सार संसार ऽ
हरियां-भरियाँ है जौ मेरो पहाड़ा ऽ
जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
उत्तराखंड ऽऽ. ……..
(अर्थ : सावन के महीने में यहाँ हरेला को मनाते हैं। दुनियां को हरियाली का शुभ सन्देश देते हैं। सारा संसार हरा-भरा हो जाये। हे उत्तराखंड की भूमि ! तेरी जय-जयकार हो। )
कस होली हवा पाणी, कतुक अनाज होलो
कस होली हवा पाणी, कतुक अनाज होलो
आओ येती जांच करूलो, सात अनाज बोई बेर
आओ येती जांच करूलो, सात अनाज बोई बेर।
ईश्वर का हम पर है जालो उपकार
ईश्वर का हम पर है जालो उपकार,
जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
उत्तराखंड ऽऽ. ……..
(कैसी होगी हवा-पानी, अनाज कैसा होगा, आओ यहीं पर जांच करेंगे सात प्रकार के अनाज बो कर। ईश्वर का हम पर उपकार हो जाये। )
हर्याव काटी, हर्याव पूजी थान कैं चढूनी
हर्याव काटी, हर्याव पूजी थान कैं चढूनी
जी रया, जागि रया आशीष यां दींनी
जी रया, जागि रया आशीष यां दींनी
ईश्वर छाया करिये हम सब पर ऽ
ईश्वर छाया करिये हम सब पर ऽ
जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
उत्तराखंड ऽऽ. ……..
(हर्याव यानि हरेला को काटकर थान यानि मंदिर में चढ़ाते हैं। फिर जी रया, जागि रया के आशीर्वचन देते हैं। हे ईश्वर ! आप हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखना। )
फैशन में डूबी पीढ़ी समझ छी व्यर्थ
फैशन में डूबी पीढ़ी समझ छी व्यर्थ
इदु मैजी छिपी रै छ भौत गहरा अर्थ
इदु मैजी छिपी रै छ भौत गहरा अर्थ
साँची कैनु मनखी तुम धरिया विचार
साँची कैनु मनखी तुम धरिया विचार
जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
उत्तराखंड ऽऽ. ……..
(वर्तमान में पाश्चात्य संस्कृति में उलझी पीढ़ी इस परम्परा को व्यर्थ समझती है, लेकिन इस पर्व में तो गहरा अर्थ छिपा हुआ है। हे मनखी (मनुष्य) तुम विचार करना। )
उत्तराखंड देवभूमि तेरी जै-जैकार, जै जैकार-जै जैकार, तेरी जैकार।
तेरी जैकार
तेरी जैकार।
तेरी जैकार।
हरेला गीत का ऑडियो यहाँ सुनें :
इस गीत का म्यूजिक श्री मोहन पाठक जी द्वारा कंपोज़ किया गया है।
हरेला गीत का भावार्थ :
हे देवभूमि उत्तराखंड ! तेरी जय-जयकार हो। जय जयकार हो। वह उत्तराखंड, जहाँ के वासी सावन महीने में हरेला त्यौहार मनाकर पूरे विश्व में हरियाली का सन्देश देते हैं। यहाँ यह पर्व वैज्ञानिकता को दर्शाता है जिसमें वर्ष में मौसम कैसा होगा, फसल की पैदावार कैसी होगी ? इसके लिए सात प्रकार के अनाज (गेहूँ, जौ, मक्का, उड़द, गहत, सरसों और चना) को बोया जाता है। इसी से यहाँ के किसान पारम्परिक विधि से अपने खेत की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का परीक्षण करते हैं।
नौ दिन पहले बोए हरेले को पतीसकर (काटकर) देवी-देवताओं के मंदिर में अर्पित किया जाता है। फिर जी रया, जागि रया के आशीर्वचनों के साथ सिर पर चढ़ाते हैं। इस गीत की अंतिम पंक्तियों में कहा गया है कि वर्तमान पीढ़ी इस परम्परा को व्यर्थ समझती है लेकिन इस परम्परा में हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना छिपी हुई है। जिसे हमें ध्यान में रखना होगा।
हरेला पर्व की मान्यता और महत्व के बारे में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ :
- हरेला 2025 : जानिए तिथि, इसकी मान्यतायें और महत्व।
- पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देता है हरेला पर्व।
- जी रया, जागी रया का अर्थ।
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