उत्तराखंड में हरेला पर्व सावन संक्रांति यानि कर्क संक्रांति को मनाया जाता है, जो हर वर्ष 16 या 17 जुलाई के दिन आता है। इसी दिन से उत्तराखंड में सावन महीने की शुरुवात होती है। हरेला पर्व न केवल हरियाली का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति से हमारे जुड़ाव, सामुदायिक भावना और सांस्कृतिक परंपराओं का भी उत्सव है। यह पर्व पर्यावरण प्रेम, कृषि संस्कृति और जीवन में खुशहाली लाने का संदेश देता है।
हरेला त्योहार के दिन मुख्यतः सप्त अनाजों से अंकुरित नवीन पौधों को पतीसकर अपने ईष्ट देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है। उसके बाद घर की वरिष्ठ महिला परिवार के सभी लोगों को हरेला पूजती हैं, इस दौरान वे –
जी रया, जागि रया
यो दिन, यो बार भ्यटनैं रया।
तुमरी दुब कि जसी जड़,
पातिक जसी पौव है जौ।
स्याव जसि बुद्धि,
स्युं जस तराण ऐ जौ।
हिमाल में ह्युं छन तक,
गंगज्यु में पाणि छन तक
तुमि जी रया, जागि रया।
जैसे पारंपरिक आशीर्वचनों के साथ हरेला के तिनड़ों को घुटनों, कंधों को छुवाते हुए सिर पर रखती हैं। इन दिन पूरे दिन घर में उत्सव का माहौल रहता है। पहाड़ों में इस दौरान वर्षा का मौसम होता है। चारों ओर प्रकृति हरियाली से भरपूर होती है। वहीं कृषि, पशु पालन से जुड़े लोगों के घरों में दूध, दही, घी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है।
हरेला के इस विशेष त्योहार पर यहाँ हम आपके लिए कुछ ख़ास शुभकामना सन्देश और कोट्स (Harela Wishes and Quotes in Hindi) पोस्ट कर रहे हैं जिन्हें आप अपने प्रियजनों के साथ साझा कर सकते हैं। नीचे दिए गए विचार और संदेश आपके पोस्टर, स्टेटस, इंस्टाग्राम कैप्शन, या शुभकामना पत्र के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
हरेला त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएं | Harela Wishes in Hindi
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“हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। यह पर्व आपके जीवन में हरियाली, खुशहाली और समृद्धि लाए।”
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“हरियाली के लोक पर्व हरेला की हार्दिक बधाई, हरियाली का प्रसार होता रहे। मन, तन और पर्यावरण हरा भरा रहे। सभी को बधाई और शुभकामनाएं।”
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“प्रकृति की पूजा, हरियाली का उत्सव-हरेला की हार्दिक शुभकामनाएं!”
- प्रकृति प्रेम और हरियाली को समर्पित लोकपर्व हरेला की आप सभी को सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। यह त्योहार आपके जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता और ख़ुशियाँ लाए..!!
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“आपका जीवन भी हरेले की तरह हरा-भरा, शांतिपूर्ण और सुसंपन्न हो – शुभ हरेला 2025!”
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“धरती हरियाली से लहराए, जीवन सुख-शांति से भर जाए- हरेला-2025 की शुभकामनाएं!”
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“हरेला के इस पावन अवसर पर प्रकृति को नमन करें और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लें।”
- “हरेला के इस पावन अवसर पर एक पेड़-माँ के नाम।” शुभ हरेला पर्व।
हरेला त्यौहार के लिए प्रेरणादायक कोट्स | Inspirational Quotes on Harela Festival
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“हरेला है प्रकृति से प्रेम का उत्सव, जो हमें हरियाली और जीवन का संदेश देता है।” Happy Harela 2025
- “सप्त अनाजों से उगे हरेले के साथ आईये करें नई शुरुवात। आज वृक्षारोपण करें।”
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प्रकृति प्रेम, प्रकृति पूजन और प्रकृति से दैवीय लगाव का लोक पर्व है हरेला। जब पूरा विश्व पर्यावरण असुंतलन से जूझ रहा है, जलवायु परिवर्तन के नुकसान सामने आ रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड का हरेला पर्व पूरे विश्व को राह दिखाते हुए वृक्षारोपण करने का सन्देश दे रहा है।
- “हरेला सिर्फ पर्व नहीं, प्रकृति के साथ आत्मीय संबंध का प्रतीक है।”
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“जब धरती पर हरियाली मुस्कुराती है, तब हरेला पर्व हमारे जीवन में खुशहाली लाता है।”
- “हरेला पर्व हमें सिखाता है – जितना प्रेम प्रकृति को दोगे, उतनी ही समृद्धि पाओगे।”
- “एक वृक्ष 10 संतान के बराबर होता है इसलिए लोकपर्व हरेला पर आईये।, हम ‘एक व्यक्ति एक वृक्ष को रोपित कर उसके संरक्षण का संकल्प लें।”
- हरेला सिर्फ एक त्यौहार न होकर उत्तराखंडी जीवनशैली का प्रतिबिंब है। यह प्रकृति के साथ संतुलन साधने वाला त्यौहार है। प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन हमेशा से पहाड़ की परंपरा का अहम हिस्सा रहा है। आईए आज हम सब मिलकर कम से कम एक वृक्ष लगाने का संकल्प लें।
- उत्तराखंड की धरती का वो पर्व, जो हरियाली के साथ उम्मीदों के नए अंकुर लाता है।
पहाड़ों की गोद में मनाया जाने वाला यह त्योहार सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे गहरे रिश्ते का प्रतीक है। हरेला हमें याद दिलाता है कि विकास और प्रकृति संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।
आइए, इस हरेला हम सब अपने आसपास एक पौधा लगाएँ, एक नई जिंदगी को जन्म दें।
हरेला की हार्दिक शुभकामनाएँ! - पुरुखों की परम्परा को आगे बढ़ायें, आज एक पेड़ जरूर लगायें और उसकी रक्षा का संकल्प लें।
Harela Wishes in Kumaoni in hindi
- लाग हरयाव, लाग दशैं, लाग बग्वाव, जी रया, जागी रया, यो दिन, यो महैण कैं भ्यटनैं रया।
- जी रयां जागि रयां
- आकाश जस उच्च, धरती जस चाकव है जयां
- स्यावै जस बुद्धि, सूरज जस तराण है जौ
- जाँठि टेकि भैर जया, दूब जस फैलि जयां।।
- सौंण का महीना यैती हर्याव कैं मनूनी,
सौंण का महीना यैती हर्याव कैं मनूनी,
दुनिया कैं हरियाली क शुभ सन्देश दींनी।
दुनिया कैं हरियाली क शुभ सन्देश दींनी।
हरियां-भरियाँ है जौ सार संसार (गीत के रूप में यहाँ सुनें – हरेला गीत ) - य बार एक बोट पितरों क नाम जरूर लगाया और सेवा करिया, ध्यान धरिया।
यह थे उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के कुछ चुनिंदा बधाई-शुभकामना सन्देश और कोट्स। आईये यहाँ विस्तृत में पढ़ते हैं हरेला के बारे में –
यह पर्व सामाजिक-धार्मिक व आर्थिक सहित विविध आयामों को अपने में समेटे है। हरेला पर्व के दस दिन पूर्व पांच या सात प्रकार के गेहूं, धान, मक्का जैसे बीज मिलाकर एक छोटी टोकरी में बो दिये जाते हैं। इस पूजनीय टोकरी को घरों के पूजा स्थल पर रख दिया जाता है। इसकी प्रतिदिन जल चढ़ाकर पूजा की जाती है। इसी विधान में मिट्टी के डिकारे गौरी-महेश्वर और उनके परिवार की प्रतिमाएं बनाकर उनका पूजन किया जाता है। इसके साथ ही आठ योनियों का भी ग्रह दशाओं के रूप में पूजन किया जाता है।
संक्रांति के दिन हरेला या उगे हुए सात प्रकार के अनाजों की विधि विधान से पूजा की जाती है तथा ‘रोग शोक निवारणार्थ प्राण रक्षक वरस्पते, इदा गच्छ नमस्तेस्तु हर देव नमोस्तुते‘ मंत्रों का जाप किया जाता है। पूजन के उपरान्त हरेला को काटा जाता है तथा घर के सभी सदस्य हरेला को सिर पर रखकर एक दूसरे को ‘जी रया, जागि रया यो दिन यो मास भेटने रैया’ आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही स्वादिष्ट व्यजंन बनाए जाते हैं तथा प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ऋतुओं के परिवर्तन के साथ मल्हार का गहरा सामंजस्य है।
अन्य रूप में यह पर्व वृक्षारोपण दिवस के धार्मिक प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर भी लोग नये वृक्षों एवं पौधों को लगाते हैं। वृक्षारोपण एवं पर्व मनाने का समय मौसम के साथ भी मेल खाता है। पहाड़ संस्कृति जहां वृक्ष सामाजिक, आर्थिक एवं परम्परा सभी रूपों में महत्व रखते हैं, उसे संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने के लिए ऐसे पर्व का प्रचलन है। यह एक वैज्ञानिक सोच के माध्यम से विकसित परम्परा है।
हरेला मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा –
हरेला पर्व को भगवान शिव-पार्वती के विवाह से भी जोड़ा गया है। पुराणों में वर्णित कथानुसार शिव की अर्धांगिनी सती ने कृष्ण रूप से खिन्न होकर हरे अनाज वाले पौधों को अपना रूप देकर पुनः गौरा रूप में जन्म लिया। इस कारण ही सम्भवतः शिव विवाह के इस अवसर पर अन्न के हरे पौधों से शिव पार्वती का पूजन सम्पन्न किया जाता है। श्रावण माह के प्रथम दिन, वर्षा ॠतु के आगमन पर ही हरेला त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से किसानों का त्यौहार है।
हरेला पर्व उत्तराखंड की धरती और संस्कृति से जुड़ी एक अनुपम परंपरा है, जो हर साल श्रावण मास की संक्रांति पर मनाई जाती है। इस पर्व की सार्थकता तभी है जब हम प्रकृति से जुड़ाव को केवल परंपरा नहीं, एक जिम्मेदारी के रूप में समझें।
आइए इस हरेला पर्व पर हम सभी मिलकर प्रकृति की रक्षा, हरियाली के संवर्धन और समाज में सौहार्द बनाए रखने का संकल्प लें। इस अवसर पर पुरुखों की मान्यतानुसार एक पेड़ अवश्य लगाएं और उसकी रक्षा का संकल्प लें। शुभ हरेला।
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