नई दिल्ली। हाल ही में जीएसटी दरों में की गई कटौती महंगाई को कम करने में मददगार साबित हो सकती है, बशर्ते कंपनियां इसका लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाएं। एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि ऐसा होता है तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इस वर्ष की चौथी तिमाही में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की और कटौती कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी कटौती से खुदरा महंगाई (सीपीआई) लगभग 1 प्रतिशत अंक तक घट सकती है। लेकिन अगर कंपनियां केवल आंशिक लाभ ही उपभोक्ताओं को देती हैं, तो महंगाई में कमी महज़ 0.5 प्रतिशत अंक तक सीमित रह सकती है। एचएसबीसी ने अनुमान जताया कि आरबीआई 4Q25 में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर रेपो रेट को घटाकर 5.25 प्रतिशत तक ला सकता है।
उपभोग और उत्पादन क्षेत्र को राहत
दर कटौती का फायदा उपभोग से जुड़े कई आवश्यक सामानों पर मिलेगा, जिनमें टूथपेस्ट, शैम्पू, छोटे कार, एयर कंडीशनर और दवाइयाँ शामिल हैं। वहीं, उत्पादन क्षेत्र में कृषि (ट्रैक्टर), श्रम-प्रधान उद्योग (चमड़ा व संगमरमर), निर्माण (सीमेंट), ऊर्जा (नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण) और स्वास्थ्य (मेडिकल डिवाइस) को भी जीएसटी में राहत दी गई है। इसके अलावा, व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है।
सरकार का नुकसान, उपभोक्ताओं का फायदा
रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों में कमी से सरकार के राजस्व में कमी हो सकती है, लेकिन इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था को मिलेगा। यदि उपभोग मजबूत होता है, तो जीडीपी वृद्धि दर में 0.2 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि इसके लिए सरकार को राजकोषीय नीतियों को सख्त करने से बचना होगा।
व्यापक आर्थिक परिप्रेक्ष्य
एचएसबीसी ने कहा कि जीएसटी कटौती को व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए। इस साल की आयकर कटौती (जीडीपी का 0.3%) और रेपो रेट में कटौती से कर्ज़ चुकाने की कम लागत (जीडीपी का 0.17%) को जोड़कर कुल उपभोग बढ़ोतरी जीडीपी का लगभग 0.6% तक हो सकती है। हालांकि, इसमें से कुछ हिस्सा लोग खर्च करने के बजाय बचत में भी डाल सकते हैं, जिससे वास्तविक बढ़ावा कम हो सकता है।
व्यापार सुगमता के लिए कदम
जीएसटी दरों में कटौती केवल टैक्स घटाने तक सीमित नहीं रही। वस्त्र और उर्वरक क्षेत्रों में उलटी ड्यूटी संरचना को सुधारा गया है। साथ ही, आसान जीएसटी पंजीकरण, प्री-फिल्ड रिटर्न और तेज़ रिफंड की योजना भी बनाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि यदि ये कदम लागू होते हैं तो देश में कारोबार करने की सुगमता (Ease of Doing Business) और बेहतर होगी।





