राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत चल रहे प्रयासों का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं उत्तराखंड के चम्पावत जनपद स्थित डड़ाबिष्ट गांव की लक्ष्मी जोशी, जिन्होंने न सिर्फ अपनी मेहनत और संकल्प से ‘लखपति दीदी’ का दर्जा हासिल किया, बल्कि अब ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा की जीती-जागती मिसाल बन गई हैं।
जय मां पूर्णागिरि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी लक्ष्मी जोशी ने सब्जी उत्पादन और दुग्ध उत्पादन को अपनी आजीविका का प्रमुख आधार बनाया। उनकी दूरदृष्टि और लगन ने एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया। जून से जुलाई माह के भीतर ही उन्होंने शिमला मिर्च से ₹35,000, 3 क्विंटल टमाटर बेचकर ₹6,000 और खीरे से ₹5,000 की आमदनी की। इस तरह, केवल एक महीने में सब्जी उत्पादन से ही उन्होंने कुल ₹46,000 की उल्लेखनीय आय अर्जित की।
Women Empowerment
इसके अतिरिक्त, लक्ष्मी जोशी दुग्ध उत्पादन में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उनके पास मौजूद पशुधन से प्रतिदिन लगभग 12 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिससे उन्हें नियमित रूप से अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।
उनकी इस सफलता की कहानी में स्वयं सहायता समूह द्वारा उपलब्ध कराए गए रीवॉल्विंग फंड (RF) की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस वित्तीय सहायता ने उन्हें व्यवसाय को सशक्त रूप से खड़ा करने का अवसर दिया और यह सिद्ध कर दिया कि यदि महिलाओं को सही मार्गदर्शन और सहायता मिले, तो वे अपनी आजीविका को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा सकती हैं।
Rural Entrepreneurship
लक्ष्मी जोशी आज सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की प्रतीक बन चुकी हैं। ‘लखपति दीदी’ बनकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि गांवों में रहने वाली महिलाएं भी सही दिशा और कड़ी मेहनत से आर्थिक रूप से मजबूत बन सकती हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और जय मां पूर्णागिरि स्वयं सहायता समूह जैसी पहलों से प्रदेश में सैकड़ों महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही हैं।